विदेशी विनिमय दर का अभिप्राय (Meaning of Foreign Exchange Rate)
सामान्यतः विदेशी विनिमय दर का अभिप्राय दो देशों की मुद्राओं के विनिमय अनुपात से है। अन्य शब्दों में, जिस दर पर एक देश की मुद्रा दूसरे देश की मुद्रा में परिवर्तित को जाती है. उसे ही विनिमय दर कहते हैं।
विदेशी विनिमय दर को इस प्रकार परिभाषित किया जा सकता है-
(1) हेन्स के शब्दों में, “विनिमय दर एक मुद्रा की दूसरी मुद्रा में व्यक्त की गयी कीमत
(2) सेयर्स के अनुसार, “चलन मुदाओं के एक-दूसरे में प्रकट किये गये मूल्यों को ही विदेशी विनिमय दर कहते हैं।”
(3) थामस के अनुसार, “किसी समय विशेष कर, एक मुद्रा इकाई की दूसरी मुद्रा इकाई में कीमत ही दो मुद्राओं की विनिमय दर कहलाती है।” इस प्रकार विदेशी विनिमय दर विदेशी विनिमय बाजार में एक देश की मुद्रा के बदले में दूसरे देश की मुद्रा इकाइयों को संख्या को मापती है चूंकि भिन्न-भिन्न देशों में भित्र-भित्र मुद्राएँ प्रचलित हैं। इस प्रकार स्पष्टतः एक देश की मुदा की विनिमय दर अलग-अलग मुद्राओं के संदर्भ में भिन्न-भिन होगी।
विदेशी विनिमय दरों के प्रकारों एवं सिद्धान्तों को बताइए।
Discuss the types and theories of foregins exchange rate
विदेशी विनिमय दरों के प्रकार (Types of Foriegn Exchange Rates)
विदेशी विनिमय दरें निम्न प्रकार की होती हैं
(1) स्थिर व परिवर्तनशील विनिमय दर स्थिर विनिमय दर वे दरें होती हैं जिन पर एक देश की मुद्रा का मूल्य दूसरे देश को मुद्दा के मूल्य में स्थिरता बनी रहती है और इसमें कोई परिवर्तन नहीं होते हैं।
परिवर्तनशील विनिमय दरों से तात्पर्य उन दरों से है जिनमें परिस्थितियों के अनुसार परिवर्तन होता रहता है।
(2) अनुकूल व प्रतिकूल विनिमय दर किसी देश की मुद्रा का मूल्य बढ़ जाने पा अर्थात् विदेशी मुद्रा की एक इकाई में विदेशी मुद्रा पहले से अधिक आने लगे तो इसे अनुकूल दर कहा जाता है।
इसके विपरीत जब किसी देश की मुद्रा का मूल्य विदेशी मुद्रा के मूल्य की तुलना में घट जाता है तो इसे प्रतिकूल दर कहा जाता है।
(3) तत्काल व अग्रिम विनिमय दर तत्काल विनिमय दर से तात्पर्य उस विनिमय दर से है जो जिस समय तय हो जाये, उसी समय उसी दर के अनुसार लेन-देन भी हो जाता है।
अग्रिम विनिमय दर से तात्पर्य उस दर से है जो भविष्य के लिए वर्तमान में तय की जाती है।
(4) अधिकृत और गैर अधिकृत विनिगय दरें विदेशी विनिमय के व्यवहार सरकारों द्वारा घोषित विनिमय दरों के अतिरिक्त दरों पर भी हो सकते हैं। जब सरकारों द्वारा घोषित अथवा IMF द्वारा स्वीकृति प्राप्ति दर पर यदि व्यवहार होते हैं तो यह
अधिकृत दर होती है। इसके अतिरिक्त अधिकृत दरों के अलावा कम या अधिक दरों पर व्यवहार हो तो यह अनाधिकृत दर होती है।
(5) क्रय एवं विक्रय विनिमय दर विदेशी मुद्राओं के परिवर्तन का कार्य बैंकों द्वारा किया जाता है। जिस दर पर बैंकों द्वारा विदेशी मुद्रा खरीदी जाती है, उसे क्रय विनिमय दर कहा जाता है तथा जिस दर पर बेची जाती है, उसे विक्रय विनिमय दर कहा जाता है।
विनिमय दर निर्धारण के सिद्धान्त (Theories of Exchange Rate Determination)
विनिमय दर निर्धारण के प्रमुखतया चार सिद्धान्त हैं-
(1) टकसालों समता सिद्धान्त
(2) क्रय शक्ति समता सिद्धान्त
(3) भुगतान संतुलन सिद्धान्त
(4) माँग व पूर्ति का सामान्य सिद्धान्त।