शोध (अनुसंधान) को परिभाषित कीजिए। आधुनिक युग में व्यवसाय में शोध के महत्व बताइये। Define Research and Explain Its Importance in Modern Business

Define Research and Explain Its Importance in Modern Business: शोध अथवा अनुसंधान का अर्थ – विभिन्न विद्वानों ने अनुसंधान को विभिन्न प्रकार से परिभाषित किया है। कुछ विद्वान इसे निर्णय लेने की एक वैज्ञानिक विधि मानते हैं जबकि कुछ अन्य विद्वान इसे समस्त वैज्ञानिक विधियों का सार मानते हैं। सामान्य अर्थ में, अनुसंधान का तात्पर्य उस वैज्ञानिक विधि से होता है जिसके द्वारा किसी उपक्रम के पूर्व-निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए विभिन्न विकल्पों का अध्ययन तथा श्रेष्ठ विकल्प का चुनाव किया जाता है। यह विधि गणितीय तथ्यों पर आधारित होती है तथा समस्या का समग्र रूप से विचार करती है तथा श्रेष्ठ विकल्प की जानकारी देती है। इसकी कुछ प्रमुख परिभाषाएँ निम्न हैं-

कूण्ट्ज तथा ओ’ डोनेल “किसी पूर्व निर्धारित लक्ष्य की प्राप्ति के लिए विभिन्न विकल्पों का अध्ययन करने में वैज्ञानिक विधि का प्रयोग इस उद्देश्य से करना कि सर्वोत्तम विकल्प निश्चित करने का मात्रात्मक आधार प्राप्त हो सके, अनुसंधान कहलाता है।”

टी. सेटी- “शोध ऐसी समस्याओं से पूरे हल निकालने की कला है अन्यथा जिनके विस्तृत हल होते हैं।”

अर्नेस्ट डेल-“अनुसंधान, प्रबन्ध समस्याओं में प्रयुक्त वैज्ञानिक पद्धति है जिसे परिणामात्मक रूपों में प्रदर्शित किया जा सकता है।”

इस परिभाषा के अनुसार शोध पद्धतियों का प्रयोग प्रबन्धकीय समस्याओं के समाधान में किया जाता है, इनके प्रयोग के दौरान इनके परिमाणात्मक रूपों को प्रदर्शित किया जाता है।

उपर्युक्त सभी परिभाषाओं को अध्ययन कर हम इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि शोध प्रविधियों का चाहे कोई भी अर्थ क्यों न हो, निश्चित रूप से इसका सम्बन्ध अनुकूलतमीकरण के शोध सिद्धांत से अवश्य है। सभी विद्वानों की परिभाषाओं और पद्धतियों के व्यापक स्वरूप को ध्यान में रखते हुए सामान्य रूप से हम इसे अग्र प्रकार से परिभाषित कर सकते हैं।

“शोध प्रविधियाँ ऐसी गणितीय एवं वैज्ञानिक प्रविधियाँ है जो उद्योग, व्यवसाय, सुरक्षा व परियोजना निर्माण आदि क्षेत्रों में व्यापक रूप से समस्याओं का अनुकूलतम प्रकार से हल करने के लिए प्रयुक्त की जाती है।”

शोध की विशेषताएँ-

  1. समस्या पर समग्र रूप से विचार – अनुसंधान अथवा शोध पद्धतियों में किसी समस्या के केवल एक ही पहलू पर विचार न करके उसके सभी पहलुओं पर समग्र रूप से विचार किया जाता है। उदाहरण के लिए, किसी रेडियो कम्पनी के ग्राहक असंतुष्ट हैं। इस समस्या पर विचार करते समय इस समस्या को समग्र रूप से देखा जाएगा।
  2. अनेक विधियों का समस्या के समाधान के लिए प्रयोग- पद्धतियों में किसी समस्या के समाधान के लिए किसी एकाकी विधि का प्रयोग नहीं किया जाता है बल्कि इसमें विभिन्न परिस्थितियों से लागू की जा सकने वाली विभिन्न तकनीकों अथवा विधियों का प्रयोग किया जाता है, जैसे-रेखीय कार्यक्रम तकनीक गणितीय सूत्रों पर आधारित है, मूल्य सिद्धांत में सांख्यिकी के संभाविता सिद्धांत का तथा संदेशवाहन के क्षेत्र में सूचना सिद्धांत का प्रयोग किया जाता है।
  3. मात्रात्मक आँकड़ों एवं मॉडलों पर आधारित- अनुसंधान में विभिन्न विधियों का प्रयोग किया जाता है परन्तु यह मुख्यतः मात्रात्मक आँकड़ों एवं गणितीय मॉडलों पर आधारित है।
  4. अनुसंधान अनुकूलतमीकरण का पर्याय- अनुसंधान का उद्देश्य दी हुई परिस्थितियों में उपलब्ध साधनों का लक्ष्य प्राप्ति के लिए अनुकूलतम प्रयोग करना होता है जिससे न्यूनतम हो सके या लाभ अधिकतम हो सके।
  5. अनुसंधान टीम भावना पर आधारित-क्रियात्मक अनुसंधान में किसी समस्या के समाधान के लिए एक टोली का प्रयोग किया जाता है। इस टोली में विभिन्न क्षेत्रों के विद्वान एक साथ कार्य करते हैं। उदाहरण के लिए, गणितज्ञ, अर्थशास्त्री, इंजीनियर, मनोवैज्ञानिक तथा सांख्यिकी विशेषज्ञ एक साथ कार्य कर सकते हैं। ये लोग विभिन्न दृष्टिकोणों से एक समस्या पर विचार करते हैं तथा फिर किसी सामान्य निष्कर्ष पर पहुँचते हैं।
  6. निर्णयन में सहायक- अनुसंधान प्रबन्धकों के निर्णय लेने में सहायक होते हैं। अनुसंधान स्वयं निर्णयन नहीं होता है।

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